
ये क्या माँगा तुने ऐ फरिस्ते
आया एक नन्हा सा मेहमान
मानो हो कोई देवदूत
यह कहता मुझसे कि
ऐ मेरे बुजुर्ग आपसे
बस इतनी ही है विनती
कि हो सके तो मेरे लिए
इंतजाम करो
कुछ ताजी सी हवा का
कुछ अपनापन लिए हुए रिश्तों का
कुछ अच्छे से सच्चे से ( दिखनेवाला ही सही )
समाज का ,
सोचता हूँ मैं
कि ये क्या मांग लिया
मेरे कुल के नवजात ने,
इससे तो अच्छा होता
गर मांगी होती
मेरी सारी दौलत ,
मेरा सारा प्यार
या फिर मेरा पूरा संसार
मन मरकर ही सही दे तो पता उसे मैं
पर अब क्या कहूँ तुझसे
माफ़ करना नन्हे फरिस्ते
नहीं पूरी कर सकूँगा शायद
मैं तेरी ये छोटी (?) सी चाहत
हो सके तो कुछ और मांग
या फिर मुझे मुह छुपाने
का मौका तो दे दे ऐ मेरे अपने