सुनो तो सही
मैं
मैं
मांगने आई हूँ
तुमसे सिर्फ इंतनी सी दया
की ऐ दरिंदों मुझे सिर्फ इस लायक
छोड़ दो की आईने में
देख सकूँ मैं अपना चेहरा
क्योंकि जानती हुए मैं
की तुम्हारे माँ बाप
भी नहीं जुटा पाते होंगे इंतना साहस
कि वे देख सके आईने में
अपने चेहरा
क्योंकि
तब उन्हें निश्चित ही आएगी शर्म
कि उन्होंने किस रूप
में इस संसार में उतरा
है अपना प्रतिरूप
शर्म उन्हें भी आती होगी..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण चिंतन.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंमांगने से कहाँ दया मिलती है...अब तो उसको लड़ना होगा.....योद्धा की तरह जीवन के रण में उतरना होगा...
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
बेहद गहन व सार्थक प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंdil ko jhakjhorti abhivyakti .very nice
जवाब देंहटाएंगहन व सार्थक प्रस्तुति।।।
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