फिर आया दशहरा हर साल की तरह
फिर जलएंगे हम कागज के रावण
फिर से एक बार देंगे हम अपनों को
विजयादशमी की बधाई
किन्तु क्या हम सोचेंगे कभी कि
क्या हमने हमारे अन्दर विराजमान
रावण की प्रतिमा को भी है
क्या आग लगाई
कल हमारे भीतर का रावण
फिर करेगा अट्टहास
हमारी सहनशीलता का फिर
उडाएगा उपहास
काश कि हम एक बार ही सही
सोच ही पाते
कि हम अपने अन्दर के रावण
को आखिर क्यां नहीं जलाते
आइये हम अपने अन्दर के रावण
को कुछ ही अंशो में सही
आग लगायें
फिर चलिए हर्षित मन से दशहरा मनाएं
विजयदशमी की
आप सभी को
कोटिशः बधाई
बहुत सुंदर ......शुभकामनायें आपको भी....
जवाब देंहटाएंमन में आग तो लगी है पर रावण है कि जलता ही नहीं।
जवाब देंहटाएंजोरदार बेहद ही अच्छे
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