शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

सोच का फर्क सोच कर देखें

गत दिनों एक मित्र से एक मेल मिला जिसमें एक बुजुर्ग के बारे में बहुत सी अच्छी बातें लिखी हुई थी साथ ही यह भी बताया गया था कि आज कि स्थिति में किस प्रकार बुजुर्गों कि अहमियत को लगातार नाकारा जा रहा है उस मित्र ने मुझसे यह भी निवेदन किया था कि यह मेल मैं और किसी को न भेजूं ताकि बुजुर्गो से सरोकार रखने वाले लोगों को निराशा न हो एवं कुछ परिस्थितियों में बुजुर्गियत कि देहलीज में पैर रख रहे लोग स्वयं को अपमानित न महसूस करें हालाकि मैं इस बात को जनता हूँ कि मेरे उस मित्र को उसके अपने बच्चों से वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जो उसे मिलना चाहिए मेरे उस मित्र ने पुरे जीवन अपने बच्चों को लायक बनाने में कोई कसार नहीं रखी एवं इसके लिए उसने सच्चाई से व्यापर करते हुए जीवन जिया एवं बुजुर्गियत कि दहलीज पर आते आते उसने अपना व्यापर इस लायक बना डाला कि पुत्रों को जमा जमाया व्यापर सौपा एवं यह उम्मीद की कि उसके बच्चे भी उसी कि तरह अपना व्यापर पूरी लगन एवं निष्ठा से करते हुए समाज में अपनी एक अलग जगह बनायेंगे किन्तु ऐसा हुआ नहीं जल्दी पैसा बनाने के फेर में बच्चों ने अनैतिकता की राह पकड़ कर आगे बढ़ने की ठानी एवं बढे भी किन्तु यह बात बुजुर्गवार को गंवारा नहीं हुई मन उन्हें अन्दर से कचोटता था लेकिन वे कर कुछ भी नहीं पा रहे थे वे मात्र अपने आप में घुट कर रह जा रहे थे, परिणाम बहुत ही स्पष्ट था उनका शेष जीवन यही सोच सोच कर बीतता रहा की क्या उन्होंने सही किया या आज जो बच्चे कर रहे हैं वह सही है ? मेरी नजरों में यह आज की पीढ़ी एवं पुरानी पीढ़ी की सोच का अंतर है आज की पीढ़ी में जहा कुछ हद तक अर्थ प्रधानता का सिधांत मुख्य होता जा रहा है वंही पुरानी पीढ़ी सिधान्तो एवं सुचिता पर अधिक ध्यान देती नजर आती है और यही कारण है कि विचारों में मतभेद मनों में भेद कि शक्ल लेता जा रहा है ? क्या हम में से कोई भी इस पर पूरा ध्यान दे रहा है एवं हम अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से निर्वहन कर रहें हैं आइये इस पर विचार तो प्रारंभ करें.शायद हमारी सोच पर भी लगी हुई धुंध कुछ हद तक हटे.

9 टिप्‍पणियां:

  1. Indeed it's high time to identify the worth of elderly people in our lives. I personally gain a lot of knowledge by interacting with my father and other elderly people.

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  2. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  3. सेटिंग मे जाकर शब्दपुष्टीकरण हटा देवे , टिप्पणी देने में सुविधा होती है
    अच्छा प्रयास है,बधाई

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  4. सुन्दर लेख के लिये बधाईयाँ...और ढेर सारी धुभकामनायें...

    सादर

    चन्दर मेहेर

    पधारियेगा तो हमें बहुत खुशी होगी..

    lifemazedar.blogspot.com
    kvkrewa.blogspot.com

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  5. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है।
    आपको और आपके परिवार को नवरात्र की शुभकामनाएं।

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  6. सार्थक लेखन के लिये आभार।

    यदि आपके पास समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष किसी के काम आ जाये।
    http://umraquaidi.blogspot.com/

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  7. आपने सही लिखा है...बहुत खराब लगता है जब किसी बुजुर्ग की ऐसी हालत देखती हूं...कितना अच्छा होता इंसान यह भी सोचे एक दिन उनका भी आएगा जब वो उस अवस्था में पहुंचेंगे....

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  8. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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