सुनो तो सही
मैं
मैं
मांगने आई हूँ
तुमसे सिर्फ इंतनी सी दया
की ऐ दरिंदों मुझे सिर्फ इस लायक
छोड़ दो की आईने में
देख सकूँ मैं अपना चेहरा
क्योंकि जानती हुए मैं
की तुम्हारे माँ बाप
भी नहीं जुटा पाते होंगे इंतना साहस
कि वे देख सके आईने में
अपने चेहरा
क्योंकि
तब उन्हें निश्चित ही आएगी शर्म
कि उन्होंने किस रूप
में इस संसार में उतरा
है अपना प्रतिरूप