शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

सुनो तो सही
मैं 
मांगने आई हूँ 
तुमसे सिर्फ इंतनी सी दया 
की ऐ दरिंदों मुझे सिर्फ इस लायक 
छोड़ दो की आईने में 
देख सकूँ मैं अपना चेहरा 
क्योंकि जानती हुए मैं 
की तुम्हारे माँ बाप 
भी नहीं जुटा  पाते  होंगे  इंतना साहस 
कि वे देख सके आईने में 
अपने चेहरा 
क्योंकि 
तब उन्हें निश्चित ही आएगी शर्म 
कि उन्होंने किस रूप 
में इस संसार में उतरा 
है अपना प्रतिरूप 

7 टिप्‍पणियां:

  1. मांगने से कहाँ दया मिलती है...अब तो उसको लड़ना होगा.....योद्धा की तरह जीवन के रण में उतरना होगा...

    सादर
    अनु

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  2. बेहद गहन व सार्थक प्रस्तुति।।।

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