जीवन की आपाधापी में
कंहा एक छण भी विश्राम मिला
मन के भावों को व्यक्त करने
कंहा कोई आयाम मिला
जिधर भी गयी नजर
हर तरफ ख्वाहिशें ही ख्वाहिशें
कंहा भला प्यार भरा कोई पैगाम मिला
अब तो बात यही आती है समझ में
स्वार्थ कि इस दुनिया में अपनों ने भी
स्वार्थों को खूबसूरती से प्यार का है नाम दिया
छोटी मगर विचारशील कविता के लिए बधाई...इसी तरह लिखते रहे.
जवाब देंहटाएंबढिया कविता…… लिखते रहिए आगे बढते रहिए।
जवाब देंहटाएंअपना नजरिया, लेकिन शुक्र कि खूबसूरती बची हुई है.
जवाब देंहटाएंआप हिंदी भाषा में विचार व्यक्त कर रहे हैं.... यही हमारी प्रसन्नता का कारण बना है.
जवाब देंहटाएंआप नासमझी में ही इतनी पते की बात कहते हैं कि 'हरिवंश जी' की याद दिला देते हैं.
.......... भावों को मुक्तछंद में कहना भी एक कला है. और वह आप जानते हैं. साधुवाद.