गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

कुछ पंक्तिया
कहीं शायद पढ़ी हुई या सूनी हुई पंक्तिया
**ऐ माँ आज मैंने जाना
मेरे बचपन में मेरे अबोलेपन के बाद भी
क्यों जान समझ लेती थी तूँ
मेरी पीड़ा को क्योंकि
शायद पीड़ा का तो जन्म ही हुआ था
किसी माता की प्रशव वेदना के साथ**
आइये सोच कर तो देखें इन पंक्तियों पर और चिंतन करें अपने आप पर

7 टिप्‍पणियां:

  1. पीड़ा और उसे समझने का प्रारम्भ तो तभी हो गया था।

    जवाब देंहटाएं
  2. Heart touching, Emotional, with deep feelings..!! remarcable post..!!!Please Visit http://zaruratakaltara.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  3. मैं हूँ नारी मैं मां हूँ बेटी हूँ प्रेम शावक को मैं ही सेती हूँ
    मेरी आंखो में प्रेम पलता है पीर लेती हूँ सुख मैं देती हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ।

    जवाब देंहटाएं